मालूम नहीं था।
मालुम नहीं था....
ये बावरे मुझे समझ लिया करो,
दर्द का जाम पीकर आई हुँ
मत चडावो अपने प्यार का नशा,
आपकी यादों में हम ईतना तडपे,
ऐ इश्क का रोग मुझे मत लगाऐ
जनाब साहाब,धडकनों को
आपकी आदत सी हो गई थी।
बहुत मुश्किल से हम निकले है,
हमने अपनी जींदगी आपके नाम कर दी थी,
आप हमको इस तरह जिना शीखा जाएंगे
हमे मालुम नहीं था,न दे आप अपने प्यार की दुहाई,
आपके दिए हुए इस शीले से,
जनाबे मौहतरम् कब्र से निकल कर आई हुँ।
ऐ जनाब मत समजाए हमको प्यार की भाषा,
हम इस दर्द की टोकरी शीर पर रखकर
दर दर भटक रहे है,आप हमे प्यार के राह
पर फिरसे मत लाए,रो रो कर दिन कटे हमारे,
जींदगी हमारी आप के नाम कर दी,
जान जान करके आप हमको दर्द के दलदल
मैं कब छोड़ आये हमै मालुम नहीं था।
सपने में सदा आपको देखा करते थे,
सपनों की दुनिया से अभी अभी उगर कर आई हुँ
प्यार का नशा इतना दर्दनाक होता है
हमे मालुम नहीं था।
शैमी ओझा "लफ्ज़"
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