जय जगतंबा संतोषीजी

जय जगतंबा संतोषी महारानी,मे तेरे द्वार आई

जय गणनायक जय विघ्नेश्वर
रिध्धि सिद्धि के स्वामी,देवताओं मैं प्रथम पूज्य
आपको सत सत प्रणाम,जय पार्वती जगतंबा,जय नवदुर्गा
तूम हो अंबारानी,खाली झोली मैं आपका प्यार भर दो,
मैरी मात भवानी,जय शिवा महाकाल,संहारकर्ता,
आप है जगत के स्वामी,आरंभ अंत से पर हो आपके चरणोंमें पिताजी,लफ्ज़ का कोटि कोटि प्रणाम,
ऐ संतोषीजी मेरी माता मैं तेरे द्वार आई
मेरा व्रत करो स्वीकार मैं तेरे द्वार आइ,
आँखों मे सदा प्यार छलकता,जो कोई
शरण माता तैरी आवे,उसका बिगडा काज बनता,
जय जय संतोषीजी,मैरी अरज सूनो मोरी मात,
मैं तेरे द्वार आई ,आप है परब्रह्म साक्षात
मैं तेरे द्वार आइ,मेरी खाली झोली घैर्य संतोष से भर दे,
निरश जीवन मैं खुशियों से भर दो,तुम रिध्धि सिध्धि
की संतान मैं तेरे द्वार आई,गणेशजी है विघ्नहर्ता
उन्के बीना जप तप व्रत है अधूरा,तुम पिता
की दूलारी बेटी... मैं तेरे द्वार आई,
शुक्रवार तेरा प्यारा दिन है,पापी दानव का
भेद न करती,पाप काँटकर भवसागर तरती
तेरी सदा जयजयकार संतोषी माई,
मेरा व्रत करो स्वीकार मेँ तेरे द्वार आइ
मुझे सदा अपनी छाँव मैं रख लो,
अपनी ममता का अमृत पिलावो,
मैरे गूडचने का भोग करो स्वीकार 
मैं तेरे शरण आई,सोलह शुक्रवार जो मन ध्यावे,
अपना बिगडा भाग्य संवारे,लोभ,मोह,माया 
छल तु भगावें,सेवा करे सो आनंद पावै,
सबके मन तुम रमण जो करती,
तुही अंबा तु जगजननी, माइ तेरे नाम है हजार
मैं तेरे द्वार आइ ,तेरे चरण मैं थोडा स्थान जो देदे,
डूबती नैया पार लगा दे,सभी देव देवी तेरा 
गुनगान करते करते नहीं थकते,शीलवान गुणवान
हो माता,निर्धन का घर धनधान से भरती,
मुडमति को विद्या देती,तेरे दादा शंकर तात
मैं तेरे द्वार आइ,तेरे दादी पार्वती मोरी मात,
मैं तेरे द्वार आइ,भुल चुक हो तो क्षमा करना,
तु माता मेँ संतान मैं तैरे द्वार आई,
सोलह शुक्रवार व्रत संकल्प जो मन धरता,
बिगडा काम पूर्ण होता,मनचाहा फल भगवती दैती,
मुझे अपनी शरण में रखलो मां मैं तेरे द्वार आइ,
मेरी पूजा करो स्वीकार मैं तेरे द्वार आइ,
धैर्य संतोष सभी के मन धरती,सभी जीवो मैं आप
जो बसती,तुने जिसके सिर रखा अपना हाथ,
उसे संकट लालच,लोभ,मोहमाया भागे कोशो दूर
मैं तेरे द्वार आई,सभी दैवो की तुम राजदुलारी,
सदा रहो आप सबकी प्यारी,तेरे गुणगान से निर्बल 
बलवान,मूडमति विध्वान निर्धन सुख समृद्धि के स्वामी होते,तेरी महीमा अपरंपार मैं तेरे द्वार आई।



शैमी ओझा "लफ्ज़"


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