काव्य:प्यार की राह

प्यार की राह 

बहुत दिनो बाद याद किया,
वो पगले की बात सुनते दिल रोया,
यादो मैं उनकी,

महेफुस थी तुम्हारी बातै जो हमने सुनीथी,
जीस दिन तेरी बातें बंद हुई तबसे मरने लब्स 
दिल से तुट सी गई थी,

दिल की धड़कन को समजे जनाब साहब,
जिस्म सै नहीं चाह मैं आपकी रुह रोने लगती है.

खत मिला आपका लगा की खुशी लोट आयी,
सुनी धड़कन भी तेरी और दस्तक देने लगी.

खुशी क्या है मैरी पता नहीं,
नजाने क्युं दिल तेरे नाम सै,
क्युं नाच उठता हैं.

कभी दुनिया को अल्विदा कह जाए हम,
तो मातम मत मनाना,याद मैं मेरी आंसु मत बहाना,मिलने आयैं हम आपको तो दिल चाहत मैं हमारी रो रो कर तुट मत जाना.

लोहे की तरह सख्त रहना बरफ की तरह पीगल मत जाना,प्यार का राह होता है कठिनाई भरा,
चलते रहना एक बार  भी मुड़कर  मत देखना पीछे,

      "लफ्ज़" दिल के अल्फ़ाज मैं.....

शैमी ओझा लफ्ज़ 

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