लघुकथा:मेरी पहली कमाई
एक समय था जब पढ़ाई में मन नहीं लगता था,मन बेचैन रहता था। 20 साल की उम्र में,जो एक पडाव था उम्र का,मुझे ज्वेलरी बनानेका बहुत शोख था,मैं पहेले खुद के लिए बनाया करती थी,पर धीरे धीरे करके खुद का छोटा सा बिझनेस शरु किया.उस जमा ने मैं थोडा वखत लगा पर.
धीरेधीरे सब सही होने लगा।मेंने पाई पाई कर कर 4000/5000 हजार इकट्ठा किये थे,मेरी पहली कमाई थी जो आज भी सुकून महेसुस कराती है।कहते हे न की खुद की महेनत से कमाया हुआ 1रुपया भी दिल को तसल्ली देता हे जी मेरे किस्से मैं भी वही हुआ....
शैमी ओझा "लफ़्झ
"
Raju Patel
ReplyDeleteKEm shu kam chhhe aapne
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